
कोरबा :- आमाबेड़ा में धर्मांतरण के विरोध में हुई हिंसा के खिलाफ सर्व समाज के आह्वान पर बुधवार को कोरबा बंद का व्यापक असर देखने को मिला। शहर के प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों निहारिका घंटाघर, सुभाष चौक, कोसाबाड़ी, टीपी नगर और सीतामढ़ी चौक में अधिकांश दुकानें बंद रहीं। सुबह कुछ दुकानें खुली थीं, जिन्हें हिंदू संगठनों के महिला-पुरुष कार्यकर्ताओं ने निवेदन कर बंद कराया। बंद के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए शहर के संवेदनशील इलाकों में पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी। लाउडस्पीकर के माध्यम से दुकानदारों से बंद में सहयोग की अपील की गई। अलग-अलग हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता समूहों में नजर आए एक दल सीतामढ़ी चौक से शहर के भीतर बंद कराता दिखा, जबकि दूसरा दल निहारिका घंटाघर से कोसाबाड़ी चौक तक दुकानों से संपर्क करता रहा।

हिंदू संगठन से जुड़े अजय विश्वकर्मा ने कहा कि बस्तर क्षेत्र में ईसाई समुदाय और हिंदू आदिवासियों के बीच हुआ विवाद अत्यंत दुखद है। उन्होंने आरोप लगाया कि आदिवासी भाइयों पर हमले की घटनाएं सामने आई हैं, जिसके विरोध में पूरे छत्तीसगढ़ में बंद का आह्वान किया गया है। इसी क्रम में कोरबा में भी समाज के सभी वर्गों ने बंद का समर्थन किया।
उन्होंने यह भी दावा किया कि कोरबा जिले में धर्मांतरण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। रूमगड़ा, कटघोरा और करतला क्षेत्र के अलावा शहर में भी पूर्व में विवाद की स्थिति बनी है, जिनमें पुलिस प्रकरण दर्ज किए जाने की जानकारी है। उनका आरोप है कि प्रलोभन और झूठे वादों के जरिए धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है, जिससे जिले में तनावपूर्ण माहौल बन रहा है।

बंद के दौरान कार्यकर्ताओं ने दुकानदारों से अपील करते हुए कहा कि जो धर्मांतरण के समर्थन में नहीं हैं, वे दुकानें बंद रखकर बंद का समर्थन करें। कुल मिलाकर कोरबा बंद का असर दिनभर बाजार और आवागमन पर स्पष्ट रूप से दिखाई दिया, हालांकि कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली।





